...अगर मुंह से निकला 'मां-बहन'...तो फिर पड़ जाएगा जुर्माना; आखिर क्या माजरा

महाराष्ट्र के एक गांव ने अपशब्दों के इस्तेमाल पर रोक और जुर्माना लगाने की शपथ ली है। महिलाओं-बेटियों की गरिमा और आत्मसम्मान के लिए अभद्र भाषा के इस्तेमाल के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया।

Saundala Village

(सांकेतिक फोटो)

तस्वीर साभार : भाषा

मुंबई: महाराष्ट्र के एक गांव ने बातचीत के दौरान अपशब्दों के इस्तेमाल पर रोक लगाने का संकल्प लिया है। सौंदाला गांव ने इसके साथ ही अपशब्द बोलने वालों पर 500 रुपये का जुर्माना लगाने का भी फैसला किया है। सरपंच शरद अरगडे ने बताया कि अहिल्यानगर जिले की नेवासा तहसील के गांव की ग्राम सभा ने बृहस्पतिवार को महिलाओं की गरिमा और आत्मसम्मान के लिए अभद्र भाषा के इस्तेमाल के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया। प्रस्ताव पेश करने वाले अरगडे ने कहा कि मुंबई से लगभग 300 किलोमीटर दूर स्थित गांव में तर्क-वितर्क के दौरान माताओं और बहनों को निशाना बनाकर अपशब्दों का इस्तेमाल आम है।

500 रुपये का जुर्माना निर्धारित

उन्होंने कहा कि जो लोग ऐसी भाषा का उपयोग करते हैं वे भूल जाते हैं कि वे माताओं और बहनों के नाम पर जो कहते हैं वह उनके अपने परिवार की महिला सदस्यों पर भी लागू होता है। हमने अपशब्दों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है और अभद्र शब्दों का इस्तेमाल करने वालों पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। अरगडे ने कहा कि यह फैसला समाज में महिलाओं की गरिमा और स्वाभिमान का सम्मान करने का एक प्रयास है।

सामाजिक कुरीतियों पर बैन

उन्होंने कहा कि हम विधवाओं को सामाजिक और धार्मिक अनुष्ठानों तथा रीति-रिवाजों में शामिल करते हैं। इसी तरह, हमारे गांव में (पति की मृत्यु के बाद) सिंदूर हटाना, मंगलसूत्र उतारना और चूड़ियां तोड़ना प्रतिबंधित है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार गांव में 1,800 लोग हैं। अरगडे ने बताया कि सौंदाला को 2007 में विवाद-मुक्त गांव होने का राज्यस्तरीय पुरस्कार मिला था। प्रतिष्ठित शनि शिंगणापुर मंदिर नेवासा तालुका में ही स्थित है।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। शहर (Cities News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।

Pushpendra kumar author

पुष्पेंद्र यादव यूपी के फतेहुपुर जिले से ताल्लुक रखते हैं। बचपन एक छोटे से गांव में बीता और शिक्षा-दीक्षा भी उसी परिवेश के साथ आगे बढ़ी। साल 2016 स...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited