Prayagraj Kumbh History...जब इलाहाबाद कुंभ में गई 500 लोगों की जान, जानिए आधी रात कैसे आया था मौत का सैलाब?
Prayagraj Kumbh History: तीन फरवरी 1954 को इलाहाबाद में प्रयाग कुंभ के दौरान भगदड़ मचने से 500 लोगों की मृत्यु हो गई थी। जानिए उस रात कहां से मौत का तांडव आया था?
इलाहाबाद कुंभ का दर्दनाक इतिहास
Prayagraj Kumbh History: प्रयागराज में साल 2025 में महाकुंभ का आयोजन होना है। हिंदुओं के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन में देश दुनिया के कोने-कोने से बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। आस्था में डूबी भीड़ को नियंत्रण करने के लिए सरकार और प्रशासन खासा इंतजाम करती है। तमाम व्यवस्थाओं के बीच एक बार फिक प्रयाग कुंभ का दर्दनाक इतिहास सबके सामने आया है। यह धार्मिक आयोजन दुखद घटना का भी साक्षी रहा है। दरअसल, तीन फरवरी 1954 को इलाहाबाद में प्रयाग कुंभ के दौरान भगदड़ मचने से 500 लोगों की मृत्यु हो गई थी। करोड़ों लोगों को संगम तक खींच लाने वाले आस्था के इस पवित्र पर्व पर हुई यह अनहोनी हजारों आंखों में सदा के लिए आंसू छोड़ गई।
मौनी अमावस्या पर आया मौत का सैलाब
प्रयागराज में प्रत्येक चार साल में कुंभ मेले का आयोजन होता है और 12 साल के चक्र में महाकुंभ आयोजित होता है। आस्थावान लोग देश दुनिया से आकर संगम में डुबकी लगाते हैं और कुछ लोग महीनों तक वहां टेंट या तंबू में रहकर कल्पवास करते हैं। इसके जितने सकारात्मक पहलुओं के बारे में हम जानते हैं उससे कहीं इतर एक दर्दनाक घटना भी जुड़ी है। इतिहास गवाह है कि तीन फरवरी 1954 प्रयागराज कुंभ के लिए बहुत ह्रदयविदारक रहा। ये तारीख प्रत्येक साल हादसे के रूप में भी याद की जाती है। तीन फरवरी 1954 के कुंभ मेले में मौनी अमावस्या के स्नान पर्व पर हुई भगदड़ में करीब 500 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। बताया जाता है कि दो और तीन फरवरी की मध्य रात्रि गंगा में अचानक पानी का जलस्तर बढ़ने लगा। पानी तेजी के साथ संगम किनारे साधु-संतों के आश्रम तक पानी पहुंचने लगा। गंगा का रौद्र रूप देखकर लोग घबरा गए और मैदानी इलाके की तरफ भागने लगे। लोगों का हुजूम इतना ज्यादा था कि कौन किसके ऊपर से गुजर गया पता ही नहीं चला और इस घटना में 500 लोगों ने अपनी जान गंवा दी।
आजादी के बाद पहला कुंभ
साल 1947 में देश की आजादी के बाद 1954 को प्रयागराज में यह पहला कुंभ था। हालांकि, इस हादसे के पीछे कई वजह बताई जाती हैं। कहा जा रहा है उस दौरान कुंभ मेला क्षेत्र काफी छोटा था और स्नान के लिए घाट भी बहुत कम थे। यही कारण था कि भीड़ अधिक जमा होने की वजह से ये भगदड़ मची थी। इसके अलावा कहा जाता है कि कुंभ मेले में हाथी भड़क गया। इस वजह से भगदड़ मची।
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