रियल एस्टेट
रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता की कमी है। हालांकि, रेरा के आने के बाद सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी स्थिति पूरी तरह से बेहतर नहीं हुई है। ऐसे में अगर आप फ्लैट बुक करने जा रहे हैं तो कारपेट एरिया, बिल्ट-अप एरिया और सुपर बिल्ट-अप एरिया के बीच के अंतर को जरूर समझ लें। अगर आप सिर्फ कारपेट एरिया कैलकुलेट करना जान जाएंगे तो आप कम बजट में भी स्पेशियस फ्लैट खरीद लेंगे। ऐसा इसलिए कि कोरोना महामारी के बाद बिल्डर ने फ्लैट का साइज बड़ा कर दिया है लेकिन लोडिंग के नाम पर बड़ा खेल कर दिया। प्रोजेक्ट को मॉर्डन और बेहतरीन दिखने के लिए लोडिंग बढ़ा दिया है। लोडिंग यानी कॉमन एरिया जिसमें पार्क, जिम, स्विमिंग पूल आदि आते हैं। इसके चलते होम बायर्स को नुकसान हो रहा है। वे बड़े फ्लैट के लिए पैसे तो अधिक चुका रहे हैं लेकिन उन्हें अंदर छोटा साइज मिल रहा है। अगर आप इससे बचना चाहते हैं तो आइए जानते हैं कि कैसे आप कारपेट एरिया को कैलकुलेट कर सकते हैं।
किसी भी प्रोजेक्ट में लोडिंग 35 से 40 फीसदी तक होता है। लोडिंग का मतलब कॉमन एरिया (लिफ्ट, लॉबी, सीढ़ियां, पार्किंग, क्लब हाउस आदि) को फ्लैट के एरिया में जोड़ने को लोडिंग फैक्टर कहा जाता है।
फ्लैट के अंदर का वह एरिया जिसपर कारपेट बिछाया जा सके, उसे कारपोट एरिया कहा जाता है। बिल्ट-अप एरिया में फ्लैट का कारपेट एरिया और दीवारों के एरिया को शामिल किया जाता है। सुपर बिल्ट-अप एरिया, कारपेट एरिया, बिल्टअप एरिया के साथ कॉमन स्पेस को जोड़ कर जो एरिया निकलता है उसे सुपर बिल्टअप एरिया कहा जाता है। बिल्डर फ्लैट का साइज हमेशा सुपर एरिया में बताता है। सुपर एरिया में बिल्डिंग में कॉमन रूम, सीढियां, लिफ्ट, फ्लैट के बाहर की गैलरी को जोड़कर सुपर बिल्टअप एरिया कहा जाता है।
घर खरीदने से पहले ज्यादातर खरीददार बिल्डर के प्रोजेक्ट, लोकेशन, कीमत आदि को लेकर रिसर्च करता हैं। बहुत कम ही खरीददार फ्लैट के कारपेट एरिया को लेकर सजग रहते हैं। हालांकि, फ्लैट बुकिंग करने से पहले यह सबसे मह्त्वपूर्ण घटक होता है। घर खरीदने से पहले कारपेट एरिया का गणित समझकर न सिर्फ आप अपने पैसे का सही मूल्य ले सकते हैं, बल्कि कम कीमत में भी बड़ा स्पेसियस फ्लैट खरीद सकते हैं।
सुपर बिल्टअप एरिया बनाम कारपेट एरिया खरीददारों के बीच आम धारणा है कि समान साइज के सुपर एरिया के फ्लैट्स का कारपेट एरिया भी एक समान होता है, लेकिन हकीकत में ऐसा होता नहीं है। कारपेट एरिया प्रोजेक्ट के लेआउट और लोडिंग पर निर्भर करता है। ज्यादातर डेवलपर्स सुपर एरिया पर लोडिंग 20 से 25 फीसदी बताते हैं, लेकिन वास्तविक में यह 40 से 45 फीसदी तक होता है। ऐसे में जिसका लोडिंग फैक्टर कम होता है, उसका कारपेट एरिया अधिक होता है।
किसी भी फ्लैट का मोटे रूप से कारपेट एरिया का गणना करना बहुत ही आसान है। इससे आप एक आंकड़ा लगा सकते है कि किस फ्लैट का कारपेट एरिया अधिक है और किसका कम। कैसे आंके कारपेट एरिया का क्षेत्रफल।
उदाहरण: अगर आप 2बीएचके फ्लैट का बुकिंग करने जा रहे हैं और उसका साइज 1000 वर्ग फीट है। इसका कारपेट एरिया का क्षेत्रफल निकालने के लिए डेवलपर्स की ओर से मिले फ्लैट का ब्रॉशर को लें। उसमें से उस फ्लैट का लेआउट प्लान को देखे और कारपेट एरिया के स्पेस का गणना करें।
इन सभी स्पेस के क्षेत्रफलों को जोड़े तो कुल एरिया = 662 वर्ग फीट। यानी 1000 वर्ग फीट के फ्लैट पर करी 35 फीसदी की लोडिंग। इसी तरह आप दूसरे डेवलपर्स से जो भी फ्लैट खरीद रहे हैं, उसका कारपेट एरिया आसानी से निकाल सकते हैं। खरीदने से पहले कारपेट एरिया निकालकर आप कम पैसे में भी स्पेसियस फ्लैट खरीद सकते हैं।
रियल एस्टेट एक्सपर्ट का कहना है कि आम खरीददार में एरिया को लेकर भ्रम होता है। बिल्डर खरीददार को कारपेट एरिया, बिल्टअप एरिया और सुपर बिल्टअप एरिया में उलझा देता है। खरीददार के पास सही जानकारी नहीं होने के कारण सही फैसला नहीं ले पता है। खरीददार को चाहिए की वह बिल्डर से कारपेट एरिया की जानकारी लें। अगर, बिल्डर द्वारा बताए गए जानकारी से संतुष्ट नहीं हो तो किसी इंजीनियर से संपर्क कर सही जानकारी लेनी चाहिए।
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