नई दिल्ली: केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने शनिवार को संसद में आर्थिक समीक्षा, 2019-20 पेश की। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि भारत में वर्ष 2014 से ही महंगाई निरंतर घटती जा रही है। हालांकि, हाल के महीनों में महंगाई में वृद्धि का रुख देखा गया है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुख्य महंगाई दर वर्ष 2018-19 (अप्रैल- दिसम्बर 2018) के 3.7 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2019-20 की समान अवधि में 4.1 प्रतिशत हो गई है। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित महंगाई दर में वर्ष 2015-16 और वर्ष 2018-19 के बीच की अवधि के दौरान वृद्धि दर्ज की गई है। हालांकि, डब्ल्यूपीआई पर आधारित महंगाई दर वर्ष 2018-19 की अप्रैल-दिसम्बर 2018 अवधि के 4.7 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2019-20 की समान अवधि में 1.5 प्रतिशत रह गई।
आर्थिक समीक्षा में यह बात रेखांकित की गई है कि वर्ष 2018-19 के दौरान सीपीआई-संयुक्त महंगाई मुख्यत: विविध समूह के कारण बढ़ी थी। हालांकि, वर्ष 2019-20 (अप्रैल-दिसम्बर) के दौरान सीपीआई-संयुक्त महंगाई में मुख्य योगदान खाद्य एवं पेय पदार्थों का रहा। खाद्य एवं पेय पदार्थों में अत्यधिक महंगाई विशेषकर सब्जियों एवं दालों में दर्ज की गई। इसका मुख्य कारण बेस इफेक्ट का कम रहना और असमय वर्षा के कारण उत्पादन का बाधित होना था। आर्थिक समीक्षा में यह सिफारिश की गई है कि किसानों के हितों की रक्षा से जुड़े उपायों जैसे कि मूल्य स्थिरीकरण कोष के तहत खरीद एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को और भी अधिक कारगर बनाने की आवश्यकता है।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि वर्ष 2014 से लेकर वर्ष 2019 तक की अवधि के दौरान देश के चारों महानगरों में विभिन्न आवश्यक कृषि जिंसों के खुदरा एवं थोक मूल्यों में व्यापक अंतर रहा है। यह अंतर विशेषकर प्याज एवं टमाटर जैसी सब्जियों के कारण देखा गया। संभवत: बिचौलियों की मौजूदगी और सौदों की लागत के काफी अधिक रहने के कारण ही यह स्थिति देखने को मिली। यह संभवत: डेस्ट्रीब्यूशन की बेहतर व्यवस्थाओं, भंडारण सुविधाओं और ज्यादातर आवश्यक कृषि जिंसों के लिए कारगर एमएसपी प्रणाली से ही संभव हो पाई।
ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में महंगाई में अंतर का विश्लेषण करते हुए आर्थिक समीक्षा में यह बात रेखांकित की गई है कि सभी राज्यों में शहरी महंगाई की तुलना में ग्रामीण महंगाई में अपेक्षाकृत अधिक अंतर रहा है। आर्थिक समीक्षा में यह भी कहा गया है कि हेडलाइन महंगाई दर और कोर महंगाई में अभिसरण के कारण महंगाई के आयाम में बदलाव देखा जाता रहा है।
(साभार पीआईबी)