नई दिल्ली: नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी ने सोमवार को कहा कि देश की अर्थव्यवस्था सुस्ती के दौर से गुजर रही है। कोलकाता साहित्य महोत्सव के दौरान अर्थशास्त्री ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता बैंकिंग सेक्टर की पुनर्वित्त होनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'मैं ये कह सकता है हूं, हम सुस्ती के दौर से गुजर रहे हैं। लेकिन मुझे ये नहीं पता कि कितनी। आंकड़ों में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिससे ये लगे कि हम सुस्ती के दौर में नहीं हैं।'
देश में असमानता की मौजूदा स्थिति को देखते हुए उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि भारत दोबारा से वेल्थ टैक्स पर विचार करे। आम बजट 2020 में सरकार को वेल्थ टैक्स दोबारा लाना चाहिए और संपत्ति के पुनर्विभाजन पर फोकस करना चाहिए। बनर्जी ने कहा, 'भारत में मौजूदा असमानता को देखते हुए, वेल्थ टैक्स पूरी तरह सही है। ऐसे मामले में ज्यादा रिडिस्ट्रूब्यूशन की आवश्यकता होगी और मुझे उम्मीद है कि ये जल्द नहीं हो पाएगा।'
अभिजीत बनर्जी ने बताया कि बैंकिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को सरकार से मदद की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, 'देश में बैंकिंग क्षेत्र दबाव में है और सरकार को इस सेक्टर में फंडिंग करनी चाहिए। केंद्र को इसके साथ ही इंफ्रास्ट्रक्टर सेक्टर में भी फंडिंग करनी चाहिए।' बनर्जी ने कहा कि बैंकिंग सेक्टर में रिफाइनेंसिंग का असर तुरंत नहीं दिखेगा, क्योंकि इसमें वक्त लगेगा।
हाल में किए गए कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती पर उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कॉर्पोरेट सेक्टर ज्यादा कैश पर बैठा हुआ है। इसके साथ ही उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एयर इंडिया के निजीकरण के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम को सही बताया है। सरकार द्वारा पीएसयू के निजीकरण किए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं असर डालने वाले पीएसयू को बेचना पसंद करूंगा।
भारतीय संसद ने साल 1957 में वेल्थ टैक्स एक्स पास किया था। इस एक्ट के तहत व्यक्तिगत, हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली (एचयूएफ) और कंपनियों पर वेल्थ टैक्स लगाया गया था। उस 30 लाख रुपये से ज्यादा की संपत्ति पर ये टैक्स लगाया गया था। हालांकि बाद में इससे जुड़े कई नियम में बदलाव किया गया था। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साल 2015 में बजट पेश करते हुए इस टैक्स को पूरी तरह से हटा दिया था। इसके स्थान पर सरकार ने ज्यादा आय पर 12 फीसदी का सरचार्ज लगा दिया।