हाल ही में दिल्ली में रहने वाले श्री रजत शर्मा ने 5 लाख रुपए सम इंश्योर्ड का एक हेल्थ इंश्योरेंस खरीदा। वो अपने इस फैसले से बेहद खुश थे। अपनी जीवनशैली की आदतों और परिवार की मेडिकल हिस्ट्री से वाकिफ थे, जिसके कारण उन्हें कई सारी बीमारियों का खतरा है।
ऐसी बीमारियों का खर्च जानते हुए उन्हें इस बात पर पूरा यकीन था कि हेल्थ इंश्योरेंस कवर लेना काफी अच्छा कदम होगा। हालांकि, उन्हें शायद यह जानकारी नहीं थी कि प्रत्येक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी एक निर्धारित ‘वेटिंग पीरियड’ यानि प्रतीक्षा अवधि के साथ आती है।
रजत द्वारा हेल्थ पॉलिसी खरीदने के सिर्फ दो सप्ताह बाद ही उन्हें एक जांच में 7.8 सेंटीमीटर का ब्लैडर स्टोन होने का पता चला और डॉक्टर ने उन्हें लिथोट्रिप्सी (स्टोन हटाने के लिए सर्जरी) कराने की सलाह दी। इसके बाद रजत यह सोचकर अपने पसंद के अस्पताल में भर्ती हो गए कि इलाज का पूरा खर्च तो इंश्योरेंस कंपनी उठाएगी।
लेकिन उन्हें अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में मौजूद वेटिंग पीरियड के बारे में जानकारी नहीं थी। जब इंश्योरेंस कंपनी ने उन्हें यह बताया कि पॉलिसी का वेटिंग पीरियड पूरा नहीं हुआ है इसलिए उनका क्लेम स्वीकार नहीं होगा तो उन्हें बड़ा झटका लगा। इस कारण रजत को अपने इलाज का पूरा खर्च रु. 1.5 लाख खुद उठाना पड़ा, जिसमें अस्पताल में भर्ती होने का खर्च और सर्जरी की फीस भी शामिल थी।
वेटिंग पीरियड – इसका क्या मतलब है
रजत की तरह ही ऐसे कई सारे लोग हैं, जो हेल्थ इंश्योरेंस तो खरीद लेते हैं लेकिन उन्हें वेटिंग पीरियड के साथ यह भी पता नहीं होता कि इसमें क्या-क्या कवर नहीं किया जाएगा। हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने का मतलब यह नहीं होता कि पॉलिसी खरीदने के पहले दिन से ही इंश्योरेंस कंपनी आपको कवर करने लगेगी।
बल्कि, आपको कुछ चुनिंदा क्लेम करने के लिए थोड़े दिन रुकना पड़ेगा। पॉलिसी खरीदने के बाद से लेकर जब तक आप बीमा कंपनी से कोई लाभ का क्लेम नहीं कर सकते, उस अवधि को एक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का वेटिंग पीरियड कहा जाता है।
हेल्थ पॉलिसी के तहत अलग-अलग स्वास्थ्य परिस्थितियों और उनके कवरेज के लिए अलग-अलग वेटिंग पीरियड और नियम भी होते हैं। साथ ही हर कंपनी के हिसाब से वेटिंग पीरियड के नियम एवं शर्तें भी अलग होती हैं। यह जानना ज़रूरी है कि वेटिंग पीरियड के दौरान मेडिकल सहायता प्राप्त करने के सभी मामलों में आपको पॉलिसी से कोई लाभ नहीं मिलेगा।
अलग-अलग प्रकार की वेटिंग पीरियड
शुरुआती वेटिंग पीरियड
हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने के 30 से 90 दिनों तक किसी भी कारण से अस्पताल में भर्ती होने पर ग्राहकों को बीमा कंपनी से किसी भी प्रकार का लाभ नहीं मिलेगा, चाहे यह इलाज पहले से तय हो या फिर इमरजेंसी में कराया जाना हो। किसी भी प्रकार का क्लेम करने के लिए ग्राहकों को पॉलिसी खरीदने के 30 से 90 दिनों तक इंतज़ार करना ही होगा।
यह शुरुआती वेटिंग पीरियड हर इंश्योरेंस कंपनी के हिसाब से अलग होता है और कम से कम 30 दिन होता है। इसमें सिर्फ किसी दुर्घटना के क्लेम को छूट होती है और अगर पॉलिसी धारक के साथ कोई दुर्घटना होती है और तुरंत अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत पड़ने पर क्लेम स्वीकार किये जाते हैं।
बीमारी-विशेष वेटिंग पीरियड
एक हेल्थ पॉलिसी में कई विशिष्ट बीमारियों के लिए खास वेटिंग पीरियड होता है, जैसे कि ट्यूमर, ENT डिसऑर्डर, हार्निया, ओस्टियोपोरोसिस। इनके लिए एक से दो वर्ष तक का वेटिंग पीरियड हो सकता है। इन प्रत्येक बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड का विवरण, इंश्योरेंस कंपनी की पॉलिसी में साफ-साफ दिया जाता है।
साथ ही, हर इंश्योरेंस कंपनी के हिसाब से ऐसी बीमारियों के वेटिंग पीरियड भी अलग-अलग होते हैं। एक बीमारी-विशिष्ट प्लान खास बीमारियों के लिए कवरेज देता है, जिनमें कैंसर, डायबिटीज़, किडनी की बीमारियां, दिल की बीमारियां, हायपरटेंशन, स्ट्रोक और डेंगू की सभी स्थितियां – शुरुआत या गंभीर, शामिल होती हैं।
पहले से मौजूद बीमारी के लिए वेटिंग पीरियड
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते वक्त पॉलिसी धारक को पहले से मौजूद बीमारियों की जानकारी देनी होती है और इनके लिए खास वेटिंग पीरियड होता है। आमतौर पर पहले से मौजूद बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड 1 से 4 वर्ष के बीच होता है और इस दौरान पॉलिसी कवरेज जारी होना चाहिए। ऐसे वेटिंग पीरियड की अवधि आपकी मेडिकल स्थिति और इंश्योरेंस कंपनी पर निर्भर करती है।
मैटरनिटी वेटिंग पीरियड
कुछ हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां ऐसी भी हैं जो मैटरनिटी यानि गर्भावस्था लाभ भी देती हैं, लेकिन इनका वेटिंग पीरियड 9 महीने से 36 महीने तक हो सकता है। अधिकतर मैटरनिटी प्लान 2-4 साल के वेटिंग पीरियड के साथ आते हैं और इसलिए हमेशा ग्राहकों को जल्द से जल्द पॉलिसी खरीदने की सलाह दी जाती है। वैसे कुछ इंश्योरेंस कंपनियां कम वेटिंग पीरियड की पेशकश भी करती हैं लेकिन इसके लिए अतिरिक्त प्रीमियम लेती हैं। यह ध्यान रहे कि मैटरनिटी लाभ वेटिंग पीरियड के दौरान नहीं क्लेम किये जा सकते।
हेल्थ इंश्योरेंस में वेटिंग पीरियड की ज़रूरत
हेल्थ इंश्योरेंस में वेटिंग पीरियड का नियम इसलिए लागू किया जाता है ताकि कोई व्यक्ति गलत इरादे से इंश्योरेंस प्लान के तहत क्लेम का फायदा ना उठा पाए। ऐसे कई मामले देखने मिले हैं जिनमें ग्राहक के पास पहले कोई हेल्थ इंश्योरेंस नहीं होता है, और बाद में किसी बीमारी का पता चलने के बाद वह हेल्थ इंश्योरेंस प्लान खरीदता है और अपनी बीमारी की जानकारी इंश्योरेंस कंपनी को देता ही नहीं है। इसलिए, ऐसे गलत कामों को रोकने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस कवर में वेटिंग पीरियड के नियम को लागू किया गया है।
वेटिंग पीरियड के लिए आईआरडीएआई के निर्देश
आईआरडीएआई के वर्किंग ग्रुप ने यह सिफारिश की है कि इंश्योरेंस कंपनियों को अपने प्लान में किसी खास बीमारी के लिए वेटिंग पीरियड शामिल करने की अनुमति दी जा सकती है और इसके लिए अधिकतम 4 वर्ष के वेटिंग पीरियड की शर्त होगी। इसके अलावा, हायपरटेंशन, डायबिटीज़, दिल की बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड 30 दिनों से अधिक रखने की अनुमित नहीं दी जा सकती। हायपरटेंशन और डायबिटीज़ जैसी स्थितियों से बड़ी संख्या में प्रभावित लोगों के मद्देनज़र यह कदम उनके लिए काफी मददगार होगा।
(अमित छाबड़ा, हेड, हेल्थ इंश्योरेंस, पॉलिसी बाजार डॉट कॉम)
(डिस्क्लेमर: ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए। आप कोई भी फैसला लेने से पहले वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लें।)
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