नई दिल्ली: भारतीय रेलवे की फ्लेक्सी फेयर स्कीम खत्म नहीं होगी। भारतीय रेलवे की 141 ट्रेन में फिलहाल फ्लेक्सी फेयर स्कीम चलती है। इस स्कीम को सितंबर 2016 में लॉन्च किया गया था। ट्रेन में फ्लाइट की तरह सीट भरने पर किराया बढ़ता जाता है। इस स्कीम को रेलवे की प्रीमियम ट्रेन राजधानी, शताब्दी और दुरतों एक्सप्रेस जैसी में लागू किया गया है।
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने लोक सभा में बढ़ते हुए ट्रेन किराए पर लिखित में जवाब देते हुए कहा कि 141 में से 32 ट्रेन में फ्लेक्सी फेयर स्कीम 9 महीने के लिए लागू रहती है। अभी इस स्कीम को बंद करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। सितंबर से 2016 से जून 2019 तक रेलवे ने फ्लेक्सी फेयर से 2426 करोड़ रुपए की कमाई की।
गोयल ने कहा कि भारतीय रेलवे और एयरलाइंस 2 अलग-अलग ट्रांसपोर्ट के मोड हैं जिनकी कनेक्टिविटी, वॉल्यूम और सुविधा के आधार पर तुलना नहीं हो सकती। एयरलाइंस में अधिकतम किराया कितना होगा ये तय नहीं है वहीं रेलवे में हर साल अधिकतम किराया फिक्स रहता है।
2015-16 में औसत ऑक्यूपेंसी सभी रिजर्व क्लास में 101.15 फीसदी थी। यहां ऑक्यूपेंसी 2017 से 18 तक बढ़कर 105.8 फीसदी हो गई। मंत्री के मुताबिक फ्लेक्सी फेयर स्कीम वाली ट्रेन में ऑक्यूपेंसी 0.95 फीसदी बढ़ी। ये सितंबर 2016 से अगस्त 2018 का का आंकड़ा है। राजधानी, शताब्दी और दुरंतो जैसी ट्रेन में इस स्कीम के आने के बाद से ऑक्यूपेंसी में बढ़ोतरी हुई है। इस साल जून 2019 तक इन ट्रेन में 97.01 फीसदी की ऑक्यूपेंसी रही।
मार्च 2019 में सरकार ने शताब्दी, राजधानी, दुरंतो जैसी एक्सप्रेस ट्रेन की फ्लेक्सी फेयर स्कीम में बदलाव किया था। जिन ट्रेनों में कम यात्री आ रहे थे उनमें से इसको हटा दिया गया। 15 ट्रेन में से पूरे साल के लिए ये स्कीम खत्म कर दी गई थी। वहीं 32 ट्रेन में लीन पीरियड के दौार इसे खत्म कर दिया गया था। ये समय फरवरी, मार्च और अगस्त का समय था। उस समय फ्लेक्सी फेयर स्कीम में अधिकतम लिमिट को 1.4 फीसदी कर दिया गया था।
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