आमतौर पर नौकरीपेशा वर्ग के लोग अपनी कंपनी से मिलने वाले हेल्थ इंश्योरेंस को ही सबसे अधिक महत्व देते हैं। उन्हें लगता है कि यह उन्हें अपनी कंपनी से मिलने वाले सबसे बड़े कर्मचारी लाभों में से एक है। इसलिए अधिकतर लोग ऐसी कंपनी में नौकरी करना पसंद करते हैं, जहां उन्हें हेल्थ इंश्योरेंस मिलता है।
नौकरीपेशा लोगों की कंपनियों को भी यही लगता है कि पर्याप्त हेल्थ इंश्योरेंस प्रदान करने से कर्मचारियों को आकर्षित किया जा सकता है और उन्हें कंपनी में बनाए रख सकते हैं। लेकिन यह हमेशा ज़रूरी नहीं होता कि किसी कंपनी द्वारा अपने कर्मचारियों को दिया जाने वाला प्रत्येक हेल्थ इंश्योरेंस प्लान उनके लिए पर्याप्त होगा।
एक नियोक्ता कंपनी के रूप में आपको पूरी जानकारी लेकर इसके लिए फैसला करना चाहिए ताकि आपके कर्मचारियों को इसका फायदा हो और उन्हें एक सही हेल्थ इंश्योरेंस मिल सके। कर्मचारियों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस चुनने से पहले कई सारे पहलूओं को ध्यान में रखना ज़रूरी है। यहां हम कुछ प्रमुख पहलूओं पर चर्चा करेंगे!
बड़ा सम इंश्योर्ड
अपने कर्मचारियों के लिए एक हेल्थ इंश्योरेंस कवर चुनते वक्त ऐसा कवर लेने की कोशिश करें, जो उन्हें पर्याप्त सुरक्षा देता हो। साथ ही आपको मेडिकल सेवाओं की महंगाई दर और चिकित्सा खर्चों पर होने वाले इसके प्रभाव को भी ध्यान में रखना होगा। ऐसे में 2-3 लाख रुपए का एक रेग्युलर कवर किसी कर्मचारी के लिए बिल्कुल भी पर्याप्त नहीं होगा।
इतनी राशि के कवर में एक व्यक्ति को जीवनशैली से जुड़ी विभिन्न बिमारियों या फिर किसी बड़े इमरजेंसी मेडिकल खर्चों के लिए पर्याप्त सुरक्षा नहीं मिल सकेगी। विशेषज्ञों के मुताबिक किसी भी नियोक्ता कंपनी को अपने कर्मचारियों को कम से कम 7-10 लाख रुपए का कवर ज़रूर देना चाहिए।
कंपनी के बजट और खर्चों के आधार पर यह कवर 20-25 लाख रुपए तक का भी हो सकता है। इसके साथ यह भी सुनिश्चित करें कि अपने कर्मचारियों को दिया जाने वाला हेल्थ इंश्योरेंस कवर उनके निकटतम परिवारिक सदस्यों, जैसे कि जीवनसाथी, बच्चे और आश्रित माता-पिता को भी कवरेज प्रदान कर सके।
नो क्लेम बोनस
एक कंपनी द्वारा अपने कर्मचारियों को प्रदान की जाने वाली हेल्थ इंश्योरेंस में इस पॉलिसी की बाध्यताओं के चलते कर्मचारियों को अक्सर नो क्लेम बोनस क्लेम करने का विकल्प नहीं मिलता। हालांकि किसी भी कंपनी को ऐसी पॉलिसी लेनी चाहिए जिसमें उनके कर्मचारियों को नो क्लेम बोनस का लाभ देने वाला फीचर भी रहे।
पॉलिसी ऐसी होनी चाहिए जो प्रत्येक क्लेम फ्री वर्ष के लिए पॉलिसीधारक का कवर भी बढ़ाए। इससे कर्मचारियों को स्वस्थ रहने और अच्छी जीवनशैली की आदतें अपनाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। नो क्लेम बोनस फीचर के अलावा कुछ ऐसे फीचर भी हैं, जिन पर नियोक्ता कंपनियों को ज़रूर ध्यान देना चाहिए।
जैसे डिडक्टिबल के साथ टॉप अप कवर फीचर की मदद से मौजूदा इंश्योरेंस का विस्तार हो सकता है। यह इसलिए ज़रूरी है क्योंकि ऐसे फीचर वाले प्लान बेसिक हेल्थ प्लान्स की तुलना में सस्ते होते हैं।
कोई सब-लिमिट ना रहे
नियोक्ता कंपनी द्वारा प्रदान की जाने वाली हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में मौजूद सब-लिमिट नियम इंश्योरेंस कंपनी द्वारा एक निर्धारित मेडिकल प्रक्रिया में होने वाले खर्च की तय सीमा होती है। आमतौर पर यह राशि इंश्योरेंस कंपनी द्वारा तय की गई एक पूर्व-निर्धारित सीमा होती है, जो कुछ विशिष्ट बिमारियों अथवा मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए कुल क्लेम राशि पर लागू होगी।
अधिकांश इंश्योरेंस कंपनियां विभिन्न मेडिकल खर्चों पर सब-लिमिट तय करती हैं, जैसे अस्पताल के कमरे का किराया, डॉक्टर की कंसलटेशन फीस, एंबुलेंस चार्जेस और पहले से तय मेडिकल प्रक्रियाएँ जैसे प्लास्टिक सर्जरी और कैटरैक्ट ऑपरेशन। अपने कर्मचारियों के लिए एक हेल्थ कवर चुनते वक्त ऐसी पॉलिसी चुनें जिसमें कोई सब-लिमिट ना हो। इससे आपके कर्मचारियों को बिना किसी चिंता के अपना उपचार कराने की सुविधा मिलेगी।
(संतोष अग्रवाल, चीफ बिजनेस ऑफिसर, लाइफ इंश्योरेंस, पॉलिसी बाजार डॉट कॉम)
(डिस्क्लेमर: ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए। आप कोई भी फैसला लेने से पहले वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लें।)
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