Bad Bank : बैड बैंक के लिए सरकारी गारंटी के प्रस्ताव को जल्द मंजूरी दे सकता है कैबिनेट

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भाषा
Updated Jun 29, 2021 | 18:06 IST

एनएआरसीएल यानी बैड बैंक के गठन की जिम्मेदारी आईबीए को सौंपी गई है। कैबिनेट से प्रस्ताव को जल्द मंजूरी मिलने की उम्मीद है।

Cabinet may soon approve the proposal of government guarantee for bad banks
बैड बैंक के लिए सरकारी गारंटी  
मुख्य बातें
  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 के बजट में बैड बैंक के गठन की घोषणा की थी।
  • कैबिनेट से प्रस्ताव को जल्द मंजूरी मिलने की उम्मीद है
  • प्रतिभूति रसीदों को लेकर सरकारी गारंटी की जरूरत होगी।

नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्रिमंडल फंसे कर्ज के समाधान के उद्देश्य से गठित की जाने वाली राष्ट्रीय संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी (एनएआरसीएल) की प्राप्ति रसीदों को सरकारी गारंटी उपलब्ध कराने के प्रस्ताव को जल्द मंजूरी दे सकता है। भारतीय बैंक संघ (आईबीए) ने इस संदर्भ में सरकारी गारंटी लगभग 31,000 करोड़ रुपए होने का अनुमान लगाया है। एनएआरसीएल यानी बैड बैंक के गठन की जिम्मेदारी आईबीए को सौंपी गयी है।

प्रस्तावित बैड बैंक के साथ कर्ज के जिस मूल्य पर सहमति बनेगी, उसका 15 प्रतिशत नकद देगा जबकि शेष 85 प्रतिशत हिस्सा सरकारी गारंटी वाली प्रतिभूति रसीद के रूप में होगा। निर्धारित मूल्य सीमा पर अगर नुकसान होता है तो सरकारी गारंटी का भुना लिया जाएगा। सूत्रों के अनुसार प्रस्ताव मंत्रिमंडल के समक्ष भेजा गया है और एनएआरसीएल द्वारा जारी की जाने वाली प्रतिभूति रसीदों को लेकर सरकारी गारंटी की जरूरत होगी।

उसने कहा कि मंत्रिमंडल से प्रस्ताव को जल्द मंजूरी मिलने की उम्मीद है। इससे बैड बैंक के परिचालन में आने का रास्ता साफ हो जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 के बजट में बैड बैंक के गठन की घोषणा की थी। पिछले साल, आईबीए ने गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के त्वरित समाधान के लिए एक बैड बैंक के गठन का प्रस्ताव रखा था। सरकार ने प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और इस संबंध में परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी तथा परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी मॉडल को अपनाने का फैसला किया।

इस बीच, सार्वजनिक क्षेत्र के केनरा बैंक ने 12 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ एनएआरसीएल की मुख्य प्रायोजक बनने का इरादा जताया है। प्रस्तावित एनएआरसीएल में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास जबकि शेष निजी क्षेत्र के बैंकों के पास होगी।

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