नई दिल्ली। अगर आप ये सोचते हैं कि भोजपुरी इंडस्ट्री में केवल अश्लील या दोयम दर्जे के गाने बनते हैं तो आप ग़लत हैं! आप किसी पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं। भोजपुरी सिनेमा का इतिहास वैसे ही स्वर्णिम रहा है जैसा की हिंदी अथवा मराठी या तमिल-तेलुगु का। भोजपुरी फिल्में आज से 6 दशक पहले जब बननी शुरू हुईं थीं तो उनके निर्माण की शुरुआत कराने में कोई और नहीं भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र बाबू ने सक्रिय भूमिका अदा की थी। 1962 से शुरू हुआ भोजपुरी सिनेमा कई दशकों तक सुंदर, अर्थपूर्ण और जनता की फ़िल्में बनाता रहा। इन फिल्मों में हिंदी के कलाकारों से लेकर गायकों, टेक्नीशियन ने काम किया। मोहम्मद रफ़ी, मन्ना डे, किशोर दा, लता मंगेशकर, आशा भोंसले, उषा मंगेशकर जैसे गायकों ने अपनी आवाज़ दी। हम आपको ऐसे ही पांच गाने बताने वाले हैं जो गोल्डन एरा के गोल्डन गाने हैं, अलबत्ता उस ज़माने में तो अधिकांश फिल्मों के सारे गाने सुपर-डुपर हिट होते थे और अब भी वैसे ही सदाबहार हैं।
पहला गाना है, भोजपुरी सिनेमा की पहली फिल्म ‘गंगा मईया तोहे पियरी चढ़ईबो’ का टाइटल ट्रैक। यह फिल्म 1962 में रिलीज़ हुई और देखते ही देखते सफलता के सारे रिकॉर्ड तोड़ गयी। उस जमाने के लोग बताते हैं कि इसको देखने दूर-दूर से दर्शक बैलगाड़ियों और ट्रेनों में चढ़कर सिनेमाघरों में गये थे। टाइटल ट्रैक लता मंगेशकर और उनकी बहन उषा मंगेशकर ने मिलकर गाया है, गीत शैलेन्द्र ने लिखे हैं और संगीत चित्रगुप्त के हैं।
दूसरा गाना भोजपुरी की दूसरी फिल्म ‘लागी नाही छूटे राम’ (1963) का है जो असीम कुमार और कुमकुम पर फिल्माया गया था। ‘लाल लाल ओठवा से बरसे ललईया’ गीत अब भी आपको भोजपुरिया लोग गुनगुनाते हुए मिल जायेंगे। इसे तलत महमूद और लता मंगेशकर ने गाया था और हिंदी के प्रसिद्ध गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी ने लिखा था।
तीसरा गाना भोजपुरी की पहली रंगीन फिल्म ‘दंगल’ का है और जिसके कितने ही रीमेक वर्जन अबतक बन चुके हैं। ‘काशी हिले पटना हिले’ गाना तो भोजपुरी गानों के पर्याय जैसा है क्योंकि जो भी भोजपुरी गानों का ज़िक्र सुनते हैं उन्हें यह गाना जरूर ध्यान आता है। इस गाने को मन्ना डे ने गाया था और यह सुजीत कुमार, प्रेमा नारायण पर फिल्माया गया था।
चौथा गाना ‘गोरकी पतरकी रे’ है जो राकेश पाण्डेय और पद्मा खन्ना की फिल्म ‘बलम परदेसिया’ में था। यह फिल्म 1979 में रिलीज़ हुई थी और इसके गाने अंजान ने लिखे थे, संगीत चित्रगुप्त का था। इस फिल्म के एल्बम के सारे गाने हिट थे। यह गाना शहंशाहे-तरन्नुम मोहम्मद रफ़ी और आशा भोंसले ने गाया।
पांचवा गाना किशोर दा की आवाज़ में है और काफी मशहूर है। किशोर दा की खिलखिलाती आवाज़ में गाना ‘जाने कईसन जादू कईलू’ तब काफी बजा था। रेडियो का दौर था और लोग यह गाना खूब चाव से सुनते थे। कुणाल सिंह और गौरी खुराना पर फिल्माया गया यह गाना धरती मईया (1981) फिल्म का है। किशोर दा की बलखाती आवाज़ पर कुणाल सिंह ने कुछ वैसा ही एक्सप्रेशन दिया है जो रंग जमा देता है।